Vedic literature split : वैदिक साहित्य का विभाजन
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वैदिक साहित्य को चार भागों में बांटा गया है।
वेदों की संहिताएंब्राह्मण ग्रंथ
आरण्यक ग्रंथ
उपनिषद
वेद चार हैं
ऋगवेदयजुर्वेद
सामवेद
अथर्ववेद
-संहिता भाग में मंत्रों का शुद्ध रूप रहता है।
-ब्राह्मण ग्रंथां में वह भाग है जो मंत्रों के विधि भाग की व्याख्या करता है।
-आरण्यक ग्रंथों में वह अंश है जिन विधियों को वानप्रस्थ की अवस्था में मनुष्य को वन में करना चाहिए।
-उपनिषदों में आध्यात्मिक और दार्शनिक सिद्धान्त हैं।
वैदिक छंद
वेदों में प्रमुख रूप से १४ छंदों का उपयोग किया गया है। इनमें भी सात ही प्रमुख हैं।वेदों में वर्णवृत छंदों का प्रयोग किया गया है मात्रिक छंदों का नहीं।
-वेदों में गायत्री छंद सर्वाधिक प्रचलित मालूम होता है।
-गायत्री के बाद त्रिष्टुप छंद का प्रयोग अधिक हुआ है। यानि यह दूसरे नंबर पर है।
-तीसरे नंबर पर जगति छंद का प्रयोग वेदों में किया गया है।
वेदों में प्रयुक्तप्रमुख सात छंद
गायत्रीउष्णिक
अनुष्टुप
बृहती
पंक्ति
त्रिष्टुप
जगती
अष्ट विकृतियां:-
वेद के मंत्रों के उच्चारण में और उनकी सुरक्षा में कोई अंतर या कमी नहीं रह जाए इसके लिए कुछ उपाय किए गए थे। इन उपयों को ही विकृतियां कहते हैं।-विकृतियां कुल आठ हैं।
जटा पाठमाला
शिखा
रेखा
ध्वज
दंड
रथ
घन
-इनमें घन पाठ सबसे अधिक बड़ा और कठिन है।
वेदों की सुरक्षा के लिए पांच उपाय
वेदों की सुरक्षा में पांच उपाय किए गए थे। इन्हें पांच प्रकार कहते हैं।संहिता पाठ:- इसमें मंत्र शुद्ध रूप में रहते थे।
जैसे :- कखग
पद पाठ:- इसमें प्रत्येक पद को पृथक कर के पढ़ा जाता था।
जैसे :- क, ख, ग
क्रम पाठ:- यह क्रम अनुसार होता है।
जैसे:- कख, खग, गघ ।
जटापाठ:- इसका रूप इस प्रकार होगा।
जैसे:- कख, खक, कख, खग, गख, खग ।
घन पाठ:- इसमें रूप इस प्रकार होगा।
जैसे:- कख, ाक, कखग, गखक, कखग ।
ऋग्वेद
-ऋक या ऋच् का अर्थ है स्तुति परक मंत्र ।-संहिता शब्द संकलन या फिर संग्रह का बोधक है।
-ऋग्वेद की शाकल शाखा की संहिता ही प्राप्त होती है।
ऋग्वेद का विभाजन
ऋग्वेद का विभाजन दो प्रकार से किया गया है।मंडल क्रम:- मंडल, अनुवाक, सूक्त और मंत्र
अष्टक क्रम:- अष्टक, अध्याय, वर्ग और मंत्र
-इनमें मंडल क्रम अधिक उपयुक्त और प्रचलित है और इसमें देवताओं के अनुसार सूक्तों का विभाजन दिया गया है।
-अष्टक क्रम में संख्या और गणनाएं अधिक हैं। ऋग्वेद को समान आठ भागों में बांटा गया है। इसे ही अष्टक क्रम कहते हैं।
-प्रत्येक अष्टक के आठ अध्याय हैं। यानि 8गुणा8 ।
-यानि पूरे ऋग्वेद में 64 अध्याय हैं।
-प्रत्येक अध्याय को वर्गों में बांटा गया है और यह संख्या प्रत्येक अध्याय में भिन्न है। जो कि 25 से ल ेकर 49 तक है।
-प्रत्येक वर्ग में मंत्रों की संख्या 5 है।
-अष्टकों में अध्यायों की संख्या भी भिन्न है। वह 22े1लेकर 331 है।
-इस प्रकार ऋग्वेद में 8 अष्टक, 64 अध्याय, 2024 वर्ग और 10552 मंत्रों की संख्या है।
मंडल क्रम के अनुसार
-मंडल क्रम में देवताओं के अनुसार ऋग्वेद को 10 मंडलों, 85अनुवाक, 1028 सूक्त और 10552 मंत्रों में विभाजित किया गया है।-इसमें 11 बालाखिल्य सूक्त और इनके 80 मंत्र हैं। वे भी इसी में शामिल हैं।
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मंडल सूक्त मंत्र संख्या ऋषि
1 191 2006 मधुच्छन्दा, मेधातिथि, दीर्घतमा, अगस्तय आदि2 43 429 गृत्समद एवं वंशज
3 62 617 विश्वमित्र
4 58 589 वामदेव
5 87 727 अत्रि
6 75 765 भारद्वाज एवं वंशज
7 104 841 वशिष्ठ
8 103 1716 कण्व, भृगु, अंगिरस आदि
9 114 1908 सोम, पवमान
10 161 1754 त्रित, विभद, इन्द्र, श्रद्धा, कामायनी आदि
ऋग्वेद में महिला ऋषिकाओं की संख्या
-ऋग्वेद में महिला ऋषिकाओं की संख्या 21 बताई गई है।-इन ऋषिकाओं द्वारा दृष्ट मंत्रों का संकलन दशम मंडल में है।
-: महिला ऋषिकाओं के नाम :-
1 श्रद्धा कामायनी
2 शची पौलमी
3 सार्पराज्ञी
4 यमी वैवस्वती
5 देवजामय: दन्द्रमातर:
6 इन्द्राणी
7 शश्वती आंगिरसी
8 रामेशा ब्रहावादिनी
9 गोधा ऋषिका
10 उर्वशी
11 सूर्या सावित्री
12 अदिति दाक्षायणी
13 घोषा काक्षीवती
14 अपाला आत्रेयी
15 नदी ऋषिका
16 लोपामुद्रा
17 विश्ववारा आत्रेयी
18 वाक आम्भृणी
19 जुहु: बह्मजाया
20 सरमा ऋषिका
21 यमी
महोदय pdf नही मिला
ReplyDeleteGood
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