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Sanskrit Natya saar : रूपक सार

Sanskrit Natya saar : रूपक सार



Important questions for Sanskrit TGT, PGT, PRT, REET, CTET, UPTET, HTET, RPSC, NET, SLAT, UPSC, UPPSC, NET, SLAT,IAS, IAS, RAS, SSC. Exams.


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इस टेबल में आपको रूपक साहित्य यानि नाट्य साहित्य के बारे में सबकुछ बताया गया है। आप इसे इस लिंक से डाउनलोड करें और प्रिंट लेकर या फिर मोबाइल पर सेव कर एग्जाम देने जाने से पहले देखकर जाएं। आपको जरूर फायदा होगा।






रूपक सार


क्रमांक अंक           विषयवस्तु                नायक                    प्रमुख रस


नाटक 5-10   इतिहास प्रसिद्ध                   धीरोदात्त                     शृंगार या वीर
               (ख्यातवृत)

प्रकरण 10         लौकिक या कवि कल्पित           विप्र/आमात्य/वणिक                      शृंगार

भाण      एकांकी        कविकल्पित                  धूर्तचरित                              वीर या शृंगार

प्रहसन   एकांकी कवि कल्पित               निद्य/कविकल्पित                      हास्य

डिम    4         ख्यातवृत या ऐतिहासिक        16 प्रकार के                               रौद्र

व्यायोग एकांकी ख्यातवृत              राजर्षि/दिव्य/धीरोदात्त            शृंगार के अलावा

समवकार  3     देवासुराश्रय ख्यात             12 दवेता या मनुष्य                   वीर
            (पौराणिक या ऐतिहासिक)

वीथी      एकांकी       कवि कल्पित              कल्पित/साधारण                           शृंगार

अंक     एकांकी        प्रख्यात (इतिहास प्रसिद्ध)   प्राकृतनर (साधारण)                   करुण

ईहामृग 4       मिश्रवृत              10 तरह के                                   शृंगार

Important Question about Rigveda : ऋग्वेद

Important Question about Rigveda : ऋग्वेद

ऋग्वेद के मौलिक अंश



ऋग्वेद के मौलिक अंश में 2 से 7 कांड तक ही हैं। इनमें प्रत्येक मंडल में एक ही ऋषि और उनके वंशजों द्वारा दृष्ट मंत्रों का संग्रह है। दो से लेकर सातवें मंडल तक सूक्तों की संख्या बढ़ती जाती है और इनका क्रम सूक्त संख्या पर ही आधारित है।
-आठवें मंडल में कई ऋषियों के वंशजों द्वारा दृष्ट मंत्रों का संग्रह है।
-नवम मंडल में सोम पवमान से संबंध सभी मंत्रों का संग्रह दिया गया है।
-प्रथम मंडल भी बाद में जोड़ा गया है और इसमें विभिन्न ऋषियों द्वारा दृष्ट मंत्रों का संकलन है।
-इसी प्रकार मंडल दस भी बाद में ही जोड़ा गया है। इसमें भाषा व्याकरण छंद शब्दावली नए भाव दार्शनिक विषय आदि संकलित हैं।
-पहले और दसवें मंडल में सूक्तों की संख्या समान है।

ऋग्वेद की शाखाएं

पतंजलि ने ऋग्वेद की 11 शाखाएं बताई हैं लेकिन पांच ही उपलब्ध हैं।

चरणव्यूह के अनुसार पांच शाखाएं :-

1 शाकल
2 वाष्कल
3 आश्वलायन
4 शाखायन
5 माण्डूकायन

-फिलहाल शाकल शाखा की ऋग्वेद संहिता उपलब्ध है जबकि वाष्कल शाखा की संहिता उपलब्ध नहीं है।
-आश्वलायन शाखा की बात करें तो इसके केवल श्रौत और गृह्यसूत्र ही उपलब्ध हैं।
-शांखायन शाखा के ब्राह्मण और आरण्यक ग्रंथ ही प्राप्य हैं।
-माण्डूकायन शाखा का कुछ भी उपलब्ध नहीं है। इसका केवल नाम ही शेष रह गया है।

विशेष बात:- ऋग्वेद में देवता शब्द प्रतिपाद्य विषय के रूप में आता है। इसका अर्थ यहां देवता यानि भगवान या गौड नहीं है। विदेशी विद्वानों ने इसका अर्थ देवता यानि भगवान कर दिया है। 


प्रमुख देवता और निवास स्थान

महाकवि यास्क ने निरुक्त के अध्याय सात से 12 तक दैवत कांड में वैदिक देवताओं का विवेचन दिया है। उनके अनुसार देवताओं को तीन भागों में विभक्त कर सकते हैं।

पृथ्वी स्थानीय:-अग्नि
अन्तरिक्ष स्थानीय:-इन्द्र और वायु
द्युस्थानीय:-सूर्य

-बाकी सभी को सहयोगी देवता माना गया है।
-ऋग्वेद में कहीं भी देवताओं की पूजा और देवताओं की मूर्ति का जिक्र नहीं आता।
-ऋग्वेद में देवों की संख्या 33 बताई गई है। इन्हें त्रिगुण एकादश भी कहा गया है। 11 गुणा 3

-ऋग्वेद में इन्द्र पर 250, अग्नि पर 200 और सोम पर 100 सूक्त मिलते हैं। 

-पर्जन्य ओर यम पर केवल तीन तीन सूक्त ही मिलते हैं।
-ऋग्वेद में शिव का भयंकर रुद्र के रूप में जिक्र आता है।

रचनाकाल :-

वेदों का रचनाकाल स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है। अलग अलग विद्वानों के अनुसार रचनाकाल अलग अलग है।
दयानंद सरस्वती के अनुसार:- सृष्टि के आरंभ से ही हैं

दीनानाथ शास्त्री चूलेट :-तीन लाख वर्ष पूर्व
रघुनन्दन शर्मा के अनुसार:-88 हजार वर्ष पूर्व
अविनाशचन्द्र दास के अनुसार :- 25 हजार ईसा पूर्व
बाल गंगाधर के अनुसार:- 6 हजार ईसा पूर्व
याकोबी के अनुसार:- 4500 ईसा पूर्व से लेकर 2500 ईसा पूर्व
विंटरनिट्ज के अनुसार :- 2500 ईसा पूर्व
मैक्समूलर के अनुसार :- 1200 ईस पूर्व

-विशेष:- सुविधा की दृष्टि से निष्कर्ष के रूप में वैदिक साहित्य क समय चार हजार ईसा पूर्व से एक हजार ईसा पूर्व तक मान लिया गया है।

Modern poet of sanskrit : संस्कृत के अर्वाचीन कवि

Modern poet of sanskrit : संस्कृत के अर्वाचीन कवि


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भट्ट मथुरानाथ शास्त्री


भट्टा मथुरानाथ शास्त्री का जन्म जयपुर में 1889 में हुआ था औ उनकी मृत्यु 1964 में हुई। इन्हें कवि शिरोमणी और कवि सार्वभौम भी कहा जाता है। इनके पिता का नाम द्वारकानाथ भट्ट और माता का नाम था जानकी देवी।
कलानाथा शास्त्री इनके पुत्र थे और वे भी आधुनिक कवियों में प्रथम पंक्ति के कवि थे। प्रत्येक वर्ष भट्ट मथुरानाथा शास्त्री के नाम पर एक पुरस्कार भी दिया जाता है।

प्रमुख कृतियां

भट्टा मथुरानाथा शास्त्री की प्रमुख कृतियों में मंजुनाथ नामक काव्य बहुत प्रसिद्ध है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इन्होंने इस काव्य में ब्रज भाषा के कवित्त और सैवयों का प्रयोग किया है।
इसके अलावा इनका दूसरा ग्रंथ जो प्रसिद्ध है उसका नाम मंजुकवितानिकुंज है। मथुरानाथ शास्त्री ने कुल चार वैभव ग्र्रंथ लिखे हैं। जिनके नाम इस प्रकार हैं:-
1 जयपुर वैभव
2 साहित्य वैभव
3 गोविन्द वैभव
4 भारत वैभव
-इन में से जयपुर वैभव, साहित्य वैभव और गोविन्द वैभव को मंजुकवितानिकुंज में शामिल किया गया है।
-ये जयपुर से प्रकाशित संस्कृत रत्नाकर के प्रथम संपादक (1904 से 1949 तक) भी रहे हैं।
-इसके अलावा इन्होंने भारती पत्रिका का संपादन (1954 से 1956 तक) भी किया है।

रचनाएं

चार वैभव ग्रंथ :-

1 जयपुर वैभव
2 साहित्य वैभव
3 गोविन्द वैभव
4 भारत वैभव

उपन्यास :-

1 आदर्श रमाणी
2 मानसिंह

टीका ग्रंथ :-

1 रसगंगाधर टीका
2 कादम्बरी टीका

वाटिका ग्रंथ :-

1 साहित्य कुसुम वाटिका
2 विनोद वाटिका
3 समुच्य ग्रंथ :-

4 गाथारत्न समुच्य

देवर्षि कलानाथ शास्त्री

-कलानाथ शास्त्री मथुरानाथ शास्त्री के पुत्र थे और इनका जन्म भी जयपुर में ही 1936 में हुआ था।
-ये राजस्थान संस्कृत ग्रंथ अकादमी के अध्यक्ष (1995 से 1998 तक) रहे थे।
-वर्ष 2012 में इन्हें राजस्थान सरकार ने संस्कृत साधना शिखर सम्मान देकर नवाजा।

प्रमुख रचनाएं:-

जीवनस्य पृष्ठ द्वयं :- यह इनका प्रसिद्ध उपन्यास है। जिसके दो पात्र राकेश और कल्पना हैं। राकेश शिक्षक है और कल्पना शिष्या है। दोनों विवाह कर लेते हैं। यह उपन्यास धारावाहिक के रूप में भारती पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।

अन्य रचनाएं :-

1 रत्नावली
2 प्रबंध पारिजात
3 कथानकवल्ली
4 सुधीजनवृतम
5 नवरत्ननीति
6 गीर्वाणगिरागौरवम
7 विद्वज्जनचरितामृतम

रूपक :-


1 महाभिनिष्क्रमण
2 चित्तौडसिंह
3 प्रतापसिंह

gadya saar : गद्य सार

संस्कृत के गद्य कवियों और गद्य काव्य के बारे में सब कुछ

इस टेबल में आपको संस्कृत के प्रमुख गद्य कवियों और उनके काव्य के बारे में संपूर्ण जानकारी एक साथ दी गई है। आप इस टेबल को डाउनलोड कर प्रिंट लेकर आराम से पढ़ सकते हैं। 

सभी कवियों और काव्यों को एक साथ पढक़र याद करना आसान होगा और आप इसे एग्जाम से ठीक पहले यदि देखकर जाएंगे तो और भी अधिक उपयोगी साबित होगी।

                                                                                                                                             सार               दशकुमारचरित वासवदत्ता कादम्बरी हर्षचरित शिवराजविजय


काव्य विधा आख्यायिका          कथा             कथा        आख्यायिका उपन्यास
विभाजन         तीन भाग                  -                     तीन भाग 8 उच्छवास 12 नि:श्वास
लेखक         दंडी                        सुबन्धु             बाणभट्ट बाणभट्ट अम्बिकादत्त व्यास
समय         600-700 ई       600-700 ई             606-648 ई 606-648 ई 1858-1900 ई
उपजीव्य         बृहतकथा                कल्पित             बृहतकथा ख्यातवृत           ख्यातवृत
नायक         दशकुमार                कंदर्पकेतु             चंद्रपीड          हर्षवद्र्धन   शिवाजी
नायिका         नहीं है                वासवदत्ता     कादम्बरी  कोई नहीं           कोई नहीं
मुख्यरस         अद्भुद्                शृंगार             शान्त         वीर वीर
रीति                 वैदर्भी                गौड़ी                     पांचाली         पांचाली             वैदर्भी व गौडी

Vedic literature split : वैदिक साहित्य का विभाजन

Vedic literature split : वैदिक साहित्य का विभाजन

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वैदिक साहित्य को चार भागों में बांटा गया है।

वेदों की संहिताएं
ब्राह्मण ग्रंथ
आरण्यक ग्रंथ
उपनिषद

वेद चार हैं

ऋगवेद
यजुर्वेद
सामवेद
अथर्ववेद

-संहिता भाग में मंत्रों का शुद्ध रूप रहता है।
-ब्राह्मण ग्रंथां में वह भाग है जो मंत्रों के विधि भाग की व्याख्या करता है।
-आरण्यक ग्रंथों में वह अंश है जिन विधियों को वानप्रस्थ की अवस्था में मनुष्य को वन में करना चाहिए।
-उपनिषदों में आध्यात्मिक और दार्शनिक सिद्धान्त हैं।

वैदिक छंद

वेदों में प्रमुख रूप से १४ छंदों का उपयोग किया गया है। इनमें भी सात ही प्रमुख हैं।
वेदों में वर्णवृत छंदों का प्रयोग किया गया है मात्रिक छंदों का नहीं।
-वेदों में गायत्री छंद सर्वाधिक प्रचलित मालूम होता है।
-गायत्री के बाद त्रिष्टुप छंद का प्रयोग अधिक हुआ है। यानि यह दूसरे नंबर पर है।
-तीसरे नंबर पर जगति छंद का प्रयोग वेदों में किया गया है।

वेदों में प्रयुक्तप्रमुख सात छंद

गायत्री
उष्णिक
अनुष्टुप
बृहती
पंक्ति
त्रिष्टुप
जगती

अष्ट विकृतियां:-

 वेद के मंत्रों के उच्चारण में और उनकी सुरक्षा में कोई अंतर या कमी नहीं रह जाए इसके लिए कुछ उपाय किए गए थे। इन उपयों को ही विकृतियां कहते हैं।

-विकृतियां कुल आठ हैं। 

जटा पाठ
माला
शिखा
रेखा
ध्वज
दंड
रथ
घन
-इनमें घन पाठ सबसे अधिक बड़ा और कठिन है।

वेदों की सुरक्षा के लिए पांच उपाय

वेदों की सुरक्षा में पांच उपाय किए गए थे। इन्हें पांच प्रकार कहते हैं।
संहिता पाठ:- इसमें मंत्र शुद्ध रूप में रहते थे।
जैसे :- कखग
पद पाठ:- इसमें प्रत्येक पद को पृथक कर के पढ़ा जाता था।
जैसे :- क, ख, ग
क्रम पाठ:- यह क्रम अनुसार होता है।
जैसे:- कख, खग, गघ ।
जटापाठ:- इसका रूप इस प्रकार होगा।
जैसे:- कख, खक, कख, खग, गख, खग ।
घन पाठ:- इसमें रूप इस प्रकार होगा।
जैसे:- कख, ाक, कखग, गखक, कखग ।

ऋग्वेद

-ऋक या ऋच् का अर्थ है स्तुति परक मंत्र ।
-संहिता शब्द संकलन या फिर संग्रह का बोधक है।
-ऋग्वेद की शाकल शाखा की संहिता ही प्राप्त होती है।

ऋग्वेद का विभाजन

ऋग्वेद का विभाजन दो प्रकार से किया गया है।
मंडल क्रम:- मंडल, अनुवाक, सूक्त और मंत्र
अष्टक क्रम:- अष्टक, अध्याय, वर्ग और मंत्र
-इनमें मंडल क्रम अधिक उपयुक्त और प्रचलित है और इसमें देवताओं के अनुसार सूक्तों का विभाजन दिया गया है।
-अष्टक क्रम में संख्या और गणनाएं अधिक हैं। ऋग्वेद को समान आठ भागों में बांटा गया है। इसे ही अष्टक क्रम कहते हैं।
-प्रत्येक अष्टक के आठ अध्याय हैं। यानि 8गुणा8 ।
-यानि पूरे ऋग्वेद में 64 अध्याय हैं।
-प्रत्येक अध्याय को वर्गों में बांटा गया है और यह संख्या प्रत्येक अध्याय में भिन्न है। जो कि 25 से ल ेकर 49 तक है।
-प्रत्येक वर्ग में मंत्रों की संख्या 5 है।
-अष्टकों में अध्यायों की संख्या भी भिन्न है। वह 22े1लेकर 331 है।
-इस प्रकार ऋग्वेद में 8 अष्टक, 64 अध्याय, 2024 वर्ग और 10552 मंत्रों की संख्या है।

मंडल क्रम के अनुसार

-मंडल क्रम में देवताओं के अनुसार ऋग्वेद को 10 मंडलों, 85अनुवाक, 1028 सूक्त और 10552 मंत्रों में विभाजित किया गया है।
-इसमें 11 बालाखिल्य सूक्त और इनके 80 मंत्र हैं। वे भी इसी में शामिल हैं।
-

मंडल         सूक्त       मंत्र संख्या           ऋषि

1                  191             2006                   मधुच्छन्दा, मेधातिथि, दीर्घतमा, अगस्तय आदि
2                  43               429                       गृत्समद एवं वंशज
3                  62               617                       विश्वमित्र
4                  58               589                       वामदेव
5                  87               727                       अत्रि
6                  75              765                       भारद्वाज एवं वंशज
7                  104             841                       वशिष्ठ
8                  103             1716                    कण्व, भृगु, अंगिरस आदि
9                  114             1908                    सोम, पवमान
10                161             1754                    त्रित, विभद, इन्द्र, श्रद्धा, कामायनी आदि

ऋग्वेद में महिला ऋषिकाओं की संख्या

-ऋग्वेद में महिला ऋषिकाओं की संख्या 21 बताई गई है।
-इन ऋषिकाओं द्वारा दृष्ट मंत्रों का संकलन दशम मंडल में है।

-: महिला ऋषिकाओं के नाम :-


1 श्रद्धा कामायनी
2 शची पौलमी
3 सार्पराज्ञी
4 यमी वैवस्वती
5 देवजामय: दन्द्रमातर:
6 इन्द्राणी
7 शश्वती आंगिरसी
8 रामेशा ब्रहावादिनी
9 गोधा ऋषिका
10 उर्वशी
11 सूर्या सावित्री
12 अदिति दाक्षायणी
13 घोषा काक्षीवती
14 अपाला आत्रेयी
15 नदी ऋषिका
16 लोपामुद्रा
17 विश्ववारा आत्रेयी
18 वाक आम्भृणी
19 जुहु: बह्मजाया
20 सरमा ऋषिका
21 यमी

Current issues nov 2017 : ICMM World Congress सैन्य चिकित्सा पर 42वीं आईसीएमएम वर्ल्ड कांंग्रेस

Current issues nov 2017 : ICMM World Congress :

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सैन्य चिकित्सा पर 42वीं आईसीएमएम वल्र्ड कांंग्रेस का उद्घाटन

रक्षा मंत्रालय (एमओडी) के तत्वावधान में नई दिल्ली के विज्ञान भवन में सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (एएफएमएस) द्वारा इंटरनेशनल कमेटी ऑफ मिलट्री मेडिसन (आईसीएमएम) का 42वां विश्व सम्मलेन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में 75 देशों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। इस सम्मेलन का विषय "मिलिट्री मेडिसन इन ट्रांजिशन: लुकिंग अहेड" है। सम्मेलन में भूखंड विशेषीकृत सैन्य चिकित्सा सहयोग सहित कई मुद्दों पर विचार विमर्श होगा। युद्ध में महिला, चिकित्सा विकलांगता लाभ, पूर्व सैनिकों के स्वास्थ्य और नये रंगरूटों की स्वास्थ्य जांच आदि पर सामूहिक परिचर्चा होगी।

प्रो. क्वारराइशा अब्दुल करीम :-

भारतीय मूल की दक्षिण अफ्रीकी एड्स अनुसंधानकर्ता प्रोफेसर क्वारराइशा अब्दुल करीम को एचआईवी और किशोरों के लिए यूएनएड्स का विशेष राजदूत नियुक्त किया गया है। पिछले महीने अब्दुल करीम और उनके पति प्रोफेसर सलीम अब्दुल करीम को अमेरिका की इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन विरोलॉजी (आईएचवी) से प्रतिष्ठित लाइव टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा था।

भारत का विश्व बैंक से सोलर समझौता

सोलर पार्क परियोजना के लिए साझा बुनियादी ढांचा के लिए 98 मिलियन अमेरिकी डॉलर के आईबीआरडी/सीटीएफ ऋण के लिए एक गारंटी समझौते और 2 मिलियन अमेरिकी डॉलर के लिए अनुदान समझौते पर विश्व बैंक के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं।
प्रमुख रूप से इस परियोजना में ये दो घटक है
(१) सोलर पार्कों के लिए साझा बुनियादी ढांचा (75 मिलियन अमेरिकी डॉलर के आईबीआरडी ऋण और 23 मिलियन अमेरिकी डॉलर के सीटीएफ ऋण सहित 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित कुल परियोजना लागत)
(२) तकनीकी सहायता (सीटीएफ अनुदान के रूप में 2 मिलियन अमेरिकी डॉलर)।

समझौते के उद्देश्य

इस परियोजना का उद्देश्य देश में बड़े सोलर पार्कों की स्थापना के जरिये सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी करना है। परियोजना से बड़े सोलर पार्कों की स्थापना में काफी सहायता मिलेगी और वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट के कुल नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य में से 100 गीगावाट सौर ऊर्जा की क्षमता स्थापित करने संबंधी सरकारी योजना को आवश्यक सहयोग मिलेगा।

खडग़पुर जंक्शन पर नई इलेक्ट्रानिक इंटरलॉकिंग प्रणाली शुरू


पश्चिम बंगाल के खडग़पुर स्टेशन पर 19 नवंबर 2017 को भारत की सबसे बड़ी अत्याधुनिक इलेक्ट्रानिक इंटरलॉकिंग (ईआई) प्रणाली चालू हो गई है। यह ईआई प्रणाली विश्व की सबसे बड़ी इलेक्ट्रानिक इंटरलॉकिंग प्रणाली में एक है और इसे 423 रूटों के साथ पुरानी रूट रिले इलेक्ट्रानिक इंटरलॉकिंग प्रणाली के स्थान पर स्थापित किया गया है।

current issues nov. 2017, Dalbeer Bhandari : दलबीर भंडारी

Current issues nov. 2017, Dalbeer Bhandari : दलबीर भंडारी

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Dalbeer Bhandari : दलबीर भंडारी


इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय) के लिए भारत के दलवीर भंडारी को पुन: चुना गया है। न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में महासभा और सुरक्षा परिषद में एक साथ हुए मतदान के बाद न्यायमूर्ति भंडारी को महासभा के 193 मतों में से 183 मत मिले। इसी प्रकार उन्हें सुरक्षा परिषद के सभी 15 वोट हासिल हुए हैं। इस चुनाव में ब्रिटेन ने अपना उम्मीदवार हटा लिया था। उनका कार्यकाल नौ वर्ष का होगा। इस पद के लिए न्यायमूर्ति भंडारी और ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड के बीच कड़ा मुकाबला था।

IMBX आईएमबीएएक्स :- 

भारत और म्यांमार के बीच द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास-2017 (आईएमबीएएक्स -२017) मेघालय की राजधानी शिलांग से 30 किमी दूर उमरोई में भारतीय सेना के संयुक्त प्रशिक्षण नोड में शुरू हुआ है। इस अभ्यास का उद्देश्य म्यांमार सेना को विभिन्न संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों और कार्यों के लिए प्रशिक्षण देना है ताकि वह भी महाभियान में हिस्सा ले सके। यह दोनों पड़ोसी देशों के सैनिकों का पहला संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास है।

विश्व मात्स्यिकी दिवस

विश्व में 21 नवंबर 2017 को विश्व मत्स्य दिवस मनाया गया। इस वर्ष इस दिवस का विषय "2022 का है सपना, किसान की आय हो दुगुना -संकल्प से सिद्धि" रखा गया। भारत में विश्व मात्स्यिकी दिवस का आयोजन लगातार चार वर्षों से हो रहा है।
इस वर्ष पशुपालन, डेयरी एवं मात्स्यिकी विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से दिनांक 21 नवम्बर 2017 को राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केन्द्र (एन.ए.एस.सी.) काम्प्लेक्स, पूसा रोड, नई दिल्ली में इसका आयोजन किया गया।
21 नवम्बर 1997 को, 18 देशों के मत्स्य कृषकों और मत्स्य कर्मकारों के विश्व मंच का प्रतिनिधित्व करने वाले कार्यरत मछुआरों और मछुआरिनों की बैठक नई दिल्ली में हुई थी। उस बैठक में धारणीय मत्स्य-आखेट के प्रयोगों और नीतियों के एक वैश्विक जनादेश की वकालत करते हुए विश्व मात्स्यिकी मंच (डब्ल्यू.एफ.एफ.) की स्थापना की गई। इसी उपलक्ष्य में 21 नवम्बर को पूरे विश्व में विश्व मात्स्यिकी दिवस मनाया जाता है।

डायबिटीज के रोगियों के लिए स्पेशल चावल


सीसीएमबी-आईआईआरआर ने कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स चावल के लिए करार किया
हैदराबाद स्थित सेण्टर फॉर सेल्यूलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) ने भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआईआरआर) के साथ मिलकर कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला एक बेहतर साबा मसूरी (आईएसएम) किस्म का चावल विकसित किया है। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले चावल मधुमेह वाले लोगों के लिए उपयुक्त माना जाता है। नई किस्म बैक्टीरिया हानि की भी प्रतिरोधी है। आईएसएम का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 50.99 के साथ अन्य किस्मों की तुलना में सबसे कम है।

तटीय सुरक्षा अभ्यास सागर कवच शुरू

केरल और लक्षद्वीप द्वीप समूह के लिए तीन दिन का तटीय सुरक्षा अभ्यास सागर कवच 21 नवंबर 2017 से शुरू हुआ। यह अभ्यास हर छह महीने में होता है । इसका उद्देश्य तटीय सुरक्षा तंत्र का आकलन करना और संचालन प्रक्रिया की पुष्टि करना है। इस अभ्यास में आतंकवादी हमले की स्थिति में भाग लेने वाले संगठन की तैयारियों का आकलन करने के लिए आतंकवादी घुसपैठ की मॉक ड्रिल और इसकी रोकथाम शामिल होगी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रिय रंजन दासमुंशी का निधन

चुनावी हलचल के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी का निधन हो गया है। वह पिछले नौ साल से कोमा में थे। उनका जन्म 13 नवंबर 1945 को हुआ था। वह पहली बार वर्ष 1971 में दक्षिणी कोलकाता लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। वर्ष 1985 में उन्हें पहली बार राजीव गांधी मंत्रिमंडल में मंत्रिपद सौंपा गया था।

Shrimad Bhagvat geeta and Important Questions : श्रीमद् भागवत गीता

Shrimad Bhagvat geeta and Important Questions :  श्रीमद् भागवत गीता 

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श्रीमद् भागवत गीता से संबंधित प्रमुख प्रश्न

-गीता महाभारत का ही अंग है और भीष्म पर्व से ली गई है। भीष्म पर्व गीता का छठां पर्व है।
-भीष्म पर्व में गीता 25वें से 42वें अध्याय तक वर्णित है।
-गीता की रचना महर्षि वेदव्यास ने ही की है। क्योंकि ये ही महाभारत के रचयिता भी हैं।
-गाती में कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं।
-दार्शनिक श्री अरविन्दो ने गीता को महासंगीत कहा है।
-मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है।

गीता के अध्याय और उनमें श्लोकों की संख्या

1 अर्जुन विषाद योग         -47
2 सांख्य योग                -72
3 कर्म योग                  -43
4 ज्ञान कर्म सन्यास योग        -42
5 कर्म सन्यास योग      -29
6 आत्मसंयम योग    -47
7 ज्ञानविज्ञान योग   -30
8 अक्षरब्रह्म योग    -38
9 राजविद्याराजगुह्ययोग   -34
10 विभूति योग    -42
11 विश्वरूप दर्शन योग   -55
12 भक्ति योग   -20
13 क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग   -34
14 गुणत्रय विभाग योग   -27
15 पुरुषोत्तम योग  -20
16 दैवासुरसम्पद्विभागयोग  -24
17 श्रद्धात्रय विभाग योग  -28
18 मोक्ष सन्यास योग  - 78

गाती के प्राचीन भाष्यकार

1 शंकराचार्य का अद्वैतपरक भाष्य:- यह ज्ञान योग से संबंधित है।
2 रामानुजाचार्य-विशिष्टाद्वैत भाष्य
3 मधवाचार्य- द्वैतपरक भाष्य
4 निम्बार्काचार्य- द्वैताद्वैतपरक भाष्य
5 वल्लभाचार्य- शुद्धाद्वैत भाष्य
( 2 से 5 तक ये चारों भक्तियोग से संबंधित हैं )
6 चैतन्य महाप्रभु :- अचिन्त्यभेदाभेदवादपरक भाष्य

योग त्रयी

1 ज्ञान योग
2 भक्ति योग
3 कर्मयोग

गुण त्रयी
1 सत्व :- श्वेत
2 रजस :- लाल
3 तमस :- काला

गीता में प्रयुक्त प्रमुख शंख और शंख वादक

योद्धा -शंख का नाम

अर्जुन - देवदत्त
भीम - पौण्ड्र
नकुल - सुघोष
कृष्ण - पांचजन्य
युधिश्ठिर - अनन्तविजय
सहदेव - मणिपुष्पक

-बाल गंगाधर तिलक कर्मयोग पर जोर देते थे।
-शंकराचार्य ज्ञान योग पर जोर देते थे।
-रामानुजाचार्य, मधवाचार्य, निम्बार्काचार्य, वल्लभाचार्य भक्ति योग पर जोर देते थे।
-महात्मागांधी अनासक्ति योग पर जोर देते थे।
-ज्ञानेश्वर पातंजलयोग पर जोर देते थे।



Sanskrit Dhatu and there difference : सकर्मक, अकर्मक, परस्मैपदी, आत्मनेपदी और उभयपदी धातुओं की पहचान

Sanskrit Dhatu and their difference:  सकर्मक, अकर्मक, परस्मैपदी, आत्मनेपदी और उभयपदी  धातुओं की पहचान

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जैसा कि संस्कृत के विद्यार्थी जानते हैं कि धातुएं तीन प्रकार की होती हैं।

1आत्मने पदी
2परस्मै पदी
3 उभय पदी।

लेकिन इनकी पहचान के बिना हम यह अंतर नहीं कर पाते कि कौन सी धातु परस्मैपदी है और कौन सी आत्मने पदी और कौनसी उभयपदी।

ऐसे में हम धातु रूप बनाने में परेशानी महसूस करते हैं। इस अंतर को समझने को आप इस प्रकार समझ सकते हैं।

आत्मने पदी धातुएं : 

जहां क वर्ग के अंतिम अक्षर की इत्संज्ञा हो तथा जहां क्रियाफल की प्राप्ति स्वयं को हो वहां आत्मने पदी धातु होती है।
कर्मवाच्य और भाववाच्य में सभी धातुएं आत्मनेपदी होती हैं।
इनमें त, आताम, झ आदि प्रत्यय लगते हैं।

परस्मैपदी : 

यह कर्ता अर्थ में होती है और क्रियाफल की प्राप्ति दूसरों को होती है। यदि भाव वाच्य  या कर्मवाच्य में होगी तो आत्मने पदी होगी।

इसमें तिप, तस, झि प्रत्यय लगते हैं।
आत्मने पदी के अलावा सभी धातुएं परस्मैपदी होती हैं। इसलिए आत्मने पदी पर अधिक ध्यान देना होता है। ताकि परस्मैपदी अपने आप याद हो जाएं।

उभयपदी धातुएं : 

उभयपदी धातुएं वे होती हैं जहां च वर्ग के अंतिम अक्षर की इत्संज्ञा होती है।

इसी प्रकार सकर्मक और अकर्मक धातुओं का अंतर समझना भी आवश्यक है।


सकर्मक धातुएं : 

जहां धातुओं से पहले कर्म संभव हो। अर्थात् जहां को लगे वहां सकर्मक धातु होगी।
जैसे : - स: ग्रंथं पठति ।

इसका अर्थ होगा वह ग्रंथ को पढ़ता है। अत: यह सकर्मक धातु है।

अकर्मक धातुएं :

जहां धातुओं से पहले कर्म संभव नहीं होता। अथवा को नहीं लगता। वह अकर्मक धातुएं होती हैं।
जैसे :- स: शेते ।

इसका अर्थ होगा वह सोता है। यहां को नहीं लगता । को लगाने पर अटपटा लगता है। अत: यहां अकर्मक धातु होगी।

What is ABC Weapons : एबीसी वेपन्स क्या है ?

What is 'ABC'  Weapons : एबीसी वेपन्स क्या है ?

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'ABC' वेपन्स का अर्थ ऐसे विनाशकारी हथियारों से है जिनसे संपूर्ण मानवता को खतरा है। एबीसी वेपन्स में (A-Atomic, B-Bio-logical, C-Chimical ) परमाण, जीवाणु और रासायनिक हथियार शामिल होते हैं। जीवाणु और रासायनिक हथियारों पर रोक लगाने का पहला प्रयास 1925 में जिनेवा प्रोटोकॉल द्वारा किया गया था।

ई-अधिशासन क्या है ?


विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार ई-अधिशासन का अर्थ है सरकारी एजेंसियों द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना। इसमें व्यापक क्षेत्र में नेटवर्क, इंटरनेट, मोबाइल और कंप्यूटर आदि शामिल हैं, जिनमें नागरिक व्यवसाय और सरकार के मध्य संबंधों को परिवर्तित करने की क्षमता होती है और जिनसे विभिन्न लक्ष्यों की पूर्ति की जा सकती है।
ई-अधिशासन का लक्ष्य नागरिक-प्रशासन के मध्य परस्पर क्रिया सुधारने, लागत घटाने राजस्व सृजन करना और पारदर्शिता लाना है।

Mutual Fund : म्यूचुअल फंड

Mutual Fund : म्यूचुअल फंड

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म्यूचुअल फंड एक वित्तीय व्यवस्था है जिसमें जनसामान्य से एच्छिक आधार पर धन एकत्र किया जाता है और विनियोग के सर्वश्रेष्ठ विकल्पों में निवेश किया जाता है | म्यूचुअल फंड का प्रबंधन बैंकिंग कंपनियां बीमा कंपनियां या फिर अन्य विशिष्ट संस्थान करते हैं | ये यूनिट्स या स्टॉक का निर्गमन कर के जनता से पैसा एकत्र करते हैं और उन पैसों को लाभप्रद योजनाओं में लगाते हैं | ताकि निवेशकों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाया जा सके।

संक्षिप्त में इस तरह समझें कि...


‘‘म्यूचुअल फंड एक ऐसी सामूहिक बचत योजना है जो लघु निवेशकों की बचत को लाभपूर्ण परियोजनाओं में विनियोजित करती है’’ |

Bit coin : बिट कॉइन

Bit coin : बिट कॉइन

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बिट कॉइन एक डिजीटल या वर्चुअल मुद्रा है | यह प्रचलित मुद्राओं जैसे रुपया डॉलर आदि से एकदम भिन्न है | यह मुद्रा कंप्यूटर नेटवर्क के आधार पर भुगतान के लिए बनाई गई है |
इसे सातोसी नकामोतो नामक इंजीनियर ने बनाया था | उसका यह नाम असली है या नकली यह भी पता नहीं चल पाया है | सामूहिक कंप्यूटर नेटवर्क पर भुगतान के लिए यह मुद्रा क्रिप्टोग्राफी से सुरक्षित की गई है | इसकी शुरूआत 3 जनवरी 2009 को हुई थी |

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गुरुत्तापूर्ण मतदान

गुरुतापूर्ण मतदान या भारात्मक मतदान पद्धति के अंतर्गत अधिक शिक्षित, अधिक कर देने वाले, अधिक उम्र के व्यक्तियों या फिर विशेष वर्ग के लोगों को ऐसा अधिकार दिया जाता है जिसके तहत वे सामान्य लोगों की अपेक्षा अधिक मत दे सकते हैं।

Current G.K : करंट सामान्य ज्ञान 17 nov.2017

Current G.K : करंट सामान्य ज्ञान 17 nov.2017 

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-एशिया का सबसे अमीर परिवार:

फोब्र्स पत्रिका की एशिया के 50 अमीर परिवारों की सूची के अनुसार रिलायंस समूह के प्रमुख मुकेश अंबानी का परिवार एशिया का सबसे अमीर परिवार है। उनके परिवार की नेटवर्थ 19 अरब डॉलर (तकरीबन 1241 अरब रुपये) से बढक़र 44.8 अरब डॉलर ( लगभग 2926 अरब रुपये) हो गई है। दक्षिण कोरिया की सैमसंग कंपनी का ली परिवार इस सूची में दूसरे पर स्थान है।

-मिली बैनर्जी :

भारतीय मूल की महिला कारोबारी मिली बैनर्जी को ब्रिटिश सरकार ने ब्रिटेन के कॉलेज ऑफ पुलिसिंग का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है।

-भारत 14वें पायदान पर :

पर्यावरण संगठन जर्मनवाच द्वारा तैयार जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई) 2018 में शामिल 56 देशों व यूरोपीय संघ की सूची में भारत इस वर्ष 14 वें पायदान पर है। वर्ष 2017 में भारत इस सूची में 20वें स्थान पर था।

-केविन लिलियाना :

इंडोनेशिया की केविन लिलियाना ने टोक्यो में मिस इंटरनेशनल 2017 का खिताब जीता है।

-सौभाग्य :

विद्युत और नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आर.के. सिंह ने प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना 'सौभाग्य' वेब पोर्टल की शुरुआत की है।

-15 वां एशिया-प्रशांत कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम सम्मेलन :

यह  नई दिल्ली में आयोजित हुआ। भारत और दक्षिण एशिया में आयोजित होने वाला यह ऐसा पहला सम्मेलन था।

-दसवां दक्षिण एशिया आर्थिक सम्मेलन (एसएइएस - 2017) :

तीन दिवसीय यह नेपाल की राजधानी काठमांडू में आयोजित किया गया। सम्मेलन का विषय था  "दक्षिण एशिया में समावेशी और सतत विकास के लिए आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना"।

-ली हाओतांग :

चीनी गोल्फर हैं । इन्होंने दुबई में हीरो चैलेंज का खिताब जीता है।

-सिमोन गार्सिया जॉनसन :

इन्हें गोल्डन ग्लोब अवार्ड की 75वीं वर्षगांठ पर इसका एम्बेसडर बनाया गया है।

-सिंधुताई सपकाल :

इन्हें 'अनाथों की मां' भी कहा जाता है । ये जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता हैं। इन्हें मानवता की सेवा में अभूतपूर्व योगदान के लिये ‘डॉ. राम मनोहर त्रिपाठी लोकसेवा सम्मान’ दिया गया है।

Current G.K. करंट जी के सामान्य ज्ञान

Current G.K. करंट जी के 

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-साउदी अरब में योग को खेल का दर्जा दिया गया है। अब वहां लाइसेंस लेकर योग सिखाया जा सकेगा। यहां नेफा मरवाई पहली महिला योग प्रशिक्षक होंगी।

-रसगुल्ले का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ या उडीसा में। दो साल पुराना यह विवाद समाप्त हो गया है। जीआई निर्धारण करने वाली कमेटी ने चेन्नई में फैसला सुनाया कि रसगुल्ले की उत्पत्ति बंगाल में हुई। अत: वह इस पर जीआई टैग लगा सकता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने इसे मीठी खबर बताते हुए हर्ष जताया है।

-जाआई टैग :- जीओग्राफिकल इंडीकेशन। यह टैग किसी वस्तु अथवा संपत्ती की  भौगोलिक पहचान बताने वाला टैग है।

-कब हुई रसगुल्ले की उत्पत्ती :- रसगुल्ले की उत्पत्ती कोलकाता के बागबाजार में १८६८ में नोबीन चंद्र दास हलवाई की दुकान पर हुई। उसी ने सबसे पहले रसगुल्ला बनाया। इसका पहला खरीददार था सेठ रायबहादुर भगवान दास बागला। उन्होंने अपने बेटे के लिए सबसे पहले रसगुल्ला खरीदा।

-सुजॉय ने आईआईएफआई जूरी प्रमख पद छोड़ दिया है। आईआईएफआई का अर्थ है इंटरनेशनल फिल्म फैस्टीवल ऑफ इंडिया। यह १३ सदस्यीय जूरी होती है। सुजॉय घोष फिल्म निर्देशक हैं।

Rajasthan राजस्थान 


लब्धि सुराण :- राजस्थान के उदयपुर की निवासी है यह सात वर्षीय बालिका। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसे बाल दिवस पर बाल पुरस्कार दिया है। लब्धि के नाम स्पीड स्केटिंग में ४ इन्टरनेशनल गोल्ड और ६२ मेडल जीत चुकी हैं। 

Sanskrit Sukta & Resident place of devta सूक्त तथा देवता और उनके निवास स्थान

Sanskrit Sukta & Resident place of devta  सूक्त तथा देवता और उनके निवास स्थान

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1 इन्द्र सूक्त 

Trick :- 2.12 मिनट पर गिद्ध इन्द्र को लेकर त्रिलोक में उड़ा और 250 किलोमीटर तक गया।
-2.12 ( दूसरे मंडल का 12वांं सूक्त )
-गिद्ध -गृत्समद
-त्रिलोक-त्रिष्टुप
-250-श्लोकों की संख्या
अर्थात इंद्र सूक्त ऋग्वेद के दूसरे मंडल का 12वां सूक्त है। इसमें त्रिष्टुप छंद है। इसके ऋषि हैं गृत्समद और इसमें इंद्र संबंधित 250 श्लोक है।
विशेष:- ऋग्वेद में सबसे अधिक जिक्र इन्द्र का ही है। 250 श्लोक में।

2 पुरुष सूक्त :-

Trick :- ऋषियों पुना जाकर अनुष्ठान करो वहां (10+90) सौ रुपए मिलेंगे ।
पु :- पुरुष सूक्त
ना :- नारायण ऋषि
अनुष्ठान :- अनुष्टुप छंद
10+90 :- दसवें मंडल का 90वां सूक्त
अर्थात पुरुष सूक्त के ऋषि नारायण हैं और यह ऋग्वेद के दसवें मंडल का 90वां सूक्त है। इसमें अनुष्टुप छंद का प्रयोग किया गया है।
विशेष:- पुरुष सूक्त का अंतिम मंत्र त्रिष्टुप छंद में है।

4 नासदीय सूक्त :

Trick :- 10.129 रुपए में नास्ता करके प्रजापति त्रिपुरा गए।
नास्ता :- नासदीय सूक्त
प्रजापति :- इसके ऋषि का नाम प्रजापति है।
त्रिपुरा :- त्रिष्टुप छंद है।
10.129 :- यह दसवें मंडल का 129वां सूक्त है।
विशेष :- नासत् से प्रारंभ होने के कारण इसका नाम नासदीय सूक्त पड़ा। इसमें दार्शनिक तत्ववाद का विवेचन है।

4 पृथ्वी सूक्त : 

Trick :- अर्थ
अर्थ :- अर्थ अर्थात पृथ्वी। यह सूक्त का नाम है।
अर्थ :- अथर्वा । यह इस सूक्त के ऋषि हैं।
अर्थ :- अथर्ववेद । यह अथर्ववेद के १२वें मंडल का पहला सूक्त है। (12.1)
-इस सूक्त में कुल 63 मंत्र हैं।

देवता और उनके निवास स्थान

वैसे तो देवता सभी स्थान पर विद्यमान होते हैं। लेकिन पाठ्य सामग्री की दृष्टि से वेदों में देवताओं का निवास तीन स्थानों पर बताया गया है।

1 पृथ्वी स्थानीय देवता

Trick :- ABS
( A अग्नि, B बृहस्पति और S सोम)

2 अंतरिक्ष स्थानीय देवता

Trick :- AIR
( A अंतरिक्ष और देवताओं के नाम हैं  I इन्द्र और R रुद्र )

3 द्यु स्थानीय देवता :- सवित्र, विष्णु, वरुण, उषस, अश्विन

( पृथ्वी और अंतरिक्ष के अलावा जो भी देवता हैं सभी द्यु स्थानीय हैं। )

Samvad Sukta संवाद सूक्त

Samvad Sukta संवाद सूक्त

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1 पुरुरवा-उर्वशी संवाद  ( 10.95 )

-यह ऋग्वेद के 10 वें मंडल का 95वां सूक्त है।
-इसमें 18 मंत्र हैं।

२ सरमा-पणि संवाद  ( 10/ 108 )

-यह ऋग्वेद के 10वें मंडल का 108 वां सूक्त है।
-इसके ऋषि पणि हैं और देवता सरमा, पणि हैं। छन्द त्रिष्टुप है ।

3 यम-यमी संवाद  ( 10/ 10 )

-यह ऋग्वेद के 10वें मंडल का 10वां सूक्त है।
-यम यमी संवाद में देवता या ऋषि यमी, वेवस्वती या यम और वैवस्वत हैं।
-छंद त्रिष्टुप है।

4 विश्वमित्र-नदी  ( 3/33 )

-विश्वमित्र-नदी संवाद सूक्त ऋग्वेद के तीसरे मंडल का 33 वां सूक्त है।
-इसके ऋषि विश्वमित्र और देवता नदी है।
-इसमें विपाशा और शुतुद्री नदियों का जिक्र आया है।
-विश्वमित्र-नदी संवाद सूक्त में पंक्ति, उष्णिक और त्रिष्टुप छंद हैं।

upnishda & aranyak उपनिषद और आरण्यक

upnishda & aranyak उपनिषद और आरण्यक

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उपनिषद

१ ऋग्वेद :- एतरेय, कौषितकी, वाष्कल
२ यजुर्वेद :- ईशवास्योपनिषद, बृहदरण्योपनिषद, कठोपनिषद, मैत्रायोपनिषद, तैतरीयोपनिषद, श्वेताश्रोपनिषद ।
३ सामवेद :- छान्दोग्य उपनिषद, केनोपनिषद
४ अथर्ववेद :- प्रश्नोपनिषद, मुण्डकोपनिषद, माण्डुक्योपनिषद

आरण्यक

१ ऋग्वेद :- ऐतरये, कौषीतकी या शांखायन
२ यजुर्वेद :- बृहदारण्यक, तैतरीय और मैत्रायणी
३ सामवेद :- तवल्कार या जैमीनिय और छान्दोग्य
४ अथर्ववेद :- कोई आरण्यक नहीं है। 

Brahman granth ब्राह्मण ग्रंथ

Brahman granth  ब्राह्मण ग्रंथ 

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1 ऋग्वेद :- ऐतरेय, कौषितकी या शांखायन

2 यजुर्वेद :-
A शुक्ल यजुर्वेद :- शतपथ ब्राह्मण
-शतपथ ब्राह्मण की दो शाखाएं हैं। कण्व और माध्यदिन।
-दोनों शाखाएं वाजसनेही संहिता से संबंधित हैं।
B कृष्ण यजुर्वेद:- तैतरीय, मैत्रायणी, कठ और कपिष्ठल ।

3 सामवेद:-
-सामवेद के 9 ब्राह्मण ग्रंथ हैं और तीन शाखाएं हैं।
तीन शाखाएं:- जैमिनीय, कौथुमीय और राणायनीय ।
सामवेद के 9 ब्राह्मण:- प्रौढ, षडविश, सामविधान, आर्षेय, देवताध्याय, उपनिषद ब्राह्मण, संहितोपनिषद ब्राह्मण, वंश, जैमिनीय ।

4 अथर्ववेद:- गोपथ ब्राह्मण

TRICK : yatna vivek यत्न विवेक : ब्राह्य यत्न और आभ्यंतर यत्न

Yatna Vivek यत्न विवेक : ब्राह्य यत्न और आभ्यंतर यत्न

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यत्न दो प्रकार के माने गए हैं।

1 ब्राह्य यत्न 2 आभ्यंतर यत्न

ब्राह्य यत्न कुल 11 हैं।

Trick ट्रिक:-ब्राह्य यत्न

अविश्वास : 
अ-अघोष
वि-विवार
श्वास-श्वास
1 अविश्वास : (अघोष, विवार और श्वास)
अविश्वास में शामिल वर्ण- 1,2 (: विसर्ग), श, ष, स, यम (1,2), जिह्वामूलीय, उपूपध्मानीय।
2 संवार, नाद, घोष - 3,4, 5 अनुस्वार (.), है, यम (3, 4 का) और अंतस्थ वर्ण यानि य, व, र, ल
3 अल्पप्राण:- 1,3,5, अंतस्थ,  अनुस्वार और 1,3 के यम
4 महाप्राण:- 2,4, उष्म वर्ण यनि श, ष, स, ह, विसर्ग (:), अद्र्धविसर्ग और 2,4 के यम

-ये 8 ब्राह्य यत्न व्यंजनों के हैं
-शेष सभी तीनों स्वरों के हैं।
1 उदात्त
2 अनुदात्त
3 स्वरित

आभ्यंतर प्रयत्न

-आभ्यंतर यत्न कुल 5 हैं।
1 स्पृष्ट/उदित:- कु, चु, टु, तु, पु (सभी व्यंजन) कुल 25 हैं।
2 इषत् स्पृष्ट:- अंतस्थ वर्ण (य, र, व, ल)। ये कुल 7 होते हैं।
-क्योंकि य व और ल दो-दो प्रकार के होते हैं। इन्हें यहां समझना जरूरी है कि य, व और ल दो-दो प्रकार के किस प्रकार से हैं।
-साधारण य, व और ल के अलावा इन्हें यँ , वँ  और लँ में भी गिना जाता है। इस कारण ये सात होते हैं। ऐसे गिने ( य, यँ, व, वॅँ, र, ल, लँ )। केवल र अकेला होता है।

3 इषत् विवृत:- उष्म वर्ण (श,ष, स, है)। ये 4 हैं।

4 विवृत:- स्वर (ये 132 होते हैं)

5 संवृत:- ह्रस्व अ का लौकिक दशा में प्रयोग संवृत होता है जबकि व्याकरण दशा में इसका प्रयोग विवृत होता है।...................................................महत्वपूर्ण प्रश्न
-आभ्यंतर यत्न 5 हैं लेकिन सिद्धान्त कौमुदी में 4 माने गए हैं। इषद् विवृत को विवृत में ही मान लिया गया है।
-प्रत्येक वर्ण का आभ्यंतर यत्न एक ही होता है।
-सभी स्वरों के ब्राह्य यत्न 3-3 होते हैं। उदात्त, अनुदात्त और स्वरित।
-सभी व्यंजनों के 4-4 ब्राह्य यत्न होते हैं।
-सभी स्वरों के कुल यत्न 4 होते हैं। ( 1 आभयंतर यत्न और 3 ब्राह्य यत्न )
-सभी व्यंजनों के कुल यत्न 5 होते हैं। ( 1 आभयंतर यत्न और 4 ब्राह्य यत्न )
-उच्चारण स्थान व आभ्यंतर यत्नों का प्रयोग सवर्ण संज्ञा के प्रकरण में किया जाता है।
-ब्राह्य यत्नों का प्रयोग आंतरतम्य परीक्षा में किया जाता है।
-ब्राह्य यत्नों की सहायता से सवर्ण संज्ञा का ग्रहण करना आंतरतम्य परीक्षा कहलाता है।

RAS : रस सार

RAS : रस सार


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रस              स्थायी भाव     वर्ण                           देवता


शृंगार      रति                श्याम                         विष्णु
हास्य      हास                 श्वेत                                 प्रमथ
करुण       शोक                 कपोत                          यम
रौद्र              क्रोध                 लाल                                  रुद्र
वीर              उत्साह                 स्वर्ण                         महेन्द्र
भयानक      भय                 काला                          काल
विभत्स     जुगुप्सा         नीला                           महाकाल
अद्भुद      विस्मय         पीला                                 गन्धर्व
शांत             शम           कुन्द श्वेत/चंद्र श्वेत          श्रीनारायण

Modern poets in sanskrit: Mathura nath shastri अर्वाचीन कवि : मथुरानाथ शास्त्री

Modern poets in sanskrit: Mathura nath shastri अर्वाचीन कवि : मथुरानाथ शास्त्री

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-'मंजुनाथ काव्य की रचना मथुरानाथ शास्त्री ने की।
-मंजुनाथ काव्य में मथुरानाथ शास्त्री ने ब्रज भाषा के छन्द 'कवित्त व 'सैवया का नवीन प्रयोग किया है।
-मथुरानाथ ने चार वैभव ग्रंथों की रचना की जिनके नाम इस प्रकार हैं।
१ जयपुर वैभव
२ साहित्य वैभव
३ गोविन्द वैभव
४ भारत वैभव
-मन्जुनाथ कविता निकुन्ज में जयपुर वैभव, साहित्य वैभव और गोविन्द वैभव को स्थान दिया गया है।
-भारत वैभव को मन्जुनाथ कविता निकुन्ज में स्थान नहीं दिया गया है।
-भारत वैभव ऐतिहासिक गद्य काव्य है।

Modern poets in sanskrit : kalanath shastri अर्वाचीन कवि : कलानाथ शास्त्री

Modern poets in sanskrit : kalanath shastri अर्वाचीन कवि : कलानाथ शास्त्री

-जीवनस्य पृष्ठ द्वयं उपन्यास कलानाथ शास्त्री ने लिखा।
-राकेश व कपना जीवनस्य पृष्ठ द्वयं के प्रमुख पात्र हैं।
-जीवनस्य पृष्ठ द्वयं में गुरु-शिष्या की प्रेम कथा का वर्णन है। इसमें राकेश शिक्षक है और कल्पना शिष्या है।
-कलानाथ शास्त्री के पिता का नाम भट्ट मथुरानाथ शास्त्री थे।

Panchtantra and Important Questions : पंचतंत्र से सबन्धित परीक्षोपयोगी प्रश्न

Panchtantra and Important Questions : पंचतंत्र से सबन्धित परीक्षोपयोगी प्रश्न

-पंचतंत्र विष्णु शर्मा ने लिखा।
-पंचतंत्र की 8 वाचनाएं ही उपलब्ध हैं।
-इन 8 वंचनाओं में से तन्त्रादख्यायिका वाचना सबसे अधिक प्राचीन है।
-पंचतंत्र में 75 कथाएं और 1103 पद्य हैं।
-पंचतंत्र में प्रमुख कथाओं की संख्या 6 है।
-पंचतंत्र के 5 भाग हैं।

-पंचतंत्र के पांच भागों के नाम और उनकी कथाओं की संख्या

1 मित्रभेद                      - 22 कथाएं
2 मित्रलाभ                    - 6 कथाएं
3 काकोलूकीय               -16 कथाएं
4 लब्धप्रणाश                -11 कथाएं
5 अपरीक्षितकारक        -14 कथाएं

-हितोपदेश में कुल 43 कथाएं हैं।

-हितोपदेश में कुल 24 कथाएं पंचतंत्र से ली गई हैं।
-हितोपदेश में 1726 पद्य हैं।
-हितोपदेश के 4 भाग हैं।
1 मित्रलाभ
2 सुह्रत भेद
3 विग्रह
4 सन्धि

Mrachhkatikam and Important Questions : मृच्छकटिकम और महत्वपूर्ण सवाल

मृच्छकटिकम और महत्वपूर्ण सवाल : Mrachhkatikam & Important For Sanskrit TGT, PGT, PRT, REET, CTET, UPTET, HTET, RPSC, UPSC, IAS.


-मृच्छ कटिकम में विदूषक का नाम मैत्रेय है।
-मृच्छकटिकम के 10 अंकों के नाम

1 अलंकार न्यास
2  द्यूतकर संवाहक
3  संधि विच्छेद
4  मदनिका शर्विलक
5  दुर्दिन
6  प्रवहण विपर्यय (गाडी बदलना)
7  आर्यकापहरण
8  वसन्तसेना मोटन (गला घोटना)
9  व्यवहार (न्यायालय)
10 संहार (उपसंहार)

Uttarramcharitam & Important Questions : भवभूति का उत्तररामचरितम् और परीक्षा में आने योग्य प्रश्न

Uttarramcharitam & Important Questions :

भवभूति का उत्तररामचरितम् और परीक्षा में आने योग्य प्रश्न

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-महावीरचरितम में महावीर श्रीराम के लिए आया है।
-उत्तररामचरितम में गुप्तचर का नाम दुर्मुख है।
-उत्तररामचरितम में सीता की सखी का नाम वासन्ती है।
-उत्तररामचरितम में महर्षि वाल्मीकि के शिष्यों के नाम सौधातिक और दण्डायन हैं।
-उत्तररामचरित सात अंकों का नाटक है।

-उत्तररामचरित के सात अंकों के नाम

१ चित्रदर्शन
२ पंचवटी प्रवेश
३ छाया अंक
४ कौशल्या-जनक योग
५ कुमार विक्रम
६ कुमार प्रत्यभिज्ञान
७ सम्मेलन

Important Questions for All Sanskrit Exams : सभी परीक्षाओं के लिए संस्कृत के विशेष प्रश्न

Important Questions for All Sanskrit Exams : सभी परीक्षाओं के लिए संस्कृत के विशेष प्रश्न
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-महर्षि वाल्मीकि को रससिद्ध कवीश्वर कहा गया है।
-रामायण में एक जगह बुद्ध को चोर और लक्ष्मण को अकृतदार कहा गया है।
-भास समस्या:- संस्कृत साहित्य के प्रथम नाटककार महाकवि भास थे। उन्होंने १३ नाटक लिखे। इन्हें लेकर ट्रावनकोर जिसे कि त्रिवेन्द्रम कहते हैं। वहां के विद्वानों में मतभेद थे। इन मतभेदों को ही भास समस्या कहा गया।
-संस्कृत साहित्य का एकमात्र दु:खान्त नाटक महकवि भास लिखित उरुभंगम नाटक है।
-कर्ण द्वारा इन्द्र को कवच कुंंडल दान दिए जाने के बाद इंद्र ने कर्ण को विमला नामक शक्ति दी थी।
-राजर्षि भर्तृहरि के पिता का नाम गन्धर्वसेन था।

Important Questions for All sanskrit Exams : सभी परीक्षाओं के लिए संस्कृत के विशेष प्रश्न

Important Questions for All Sanskrit Exams : सभी परीक्षाओं के लिए संस्कृत के विशेष प्रश्न
Important For TGT, PGT, PRt, REET, CTET, UPTET, HTET, RPSC, UPSC, IAS.

-बाण, सुबन्धु और कविराज को वक्रोक्ति निपुण कहा जाता है। यह उपमा स्वयं कविराज ने ही दी है। तीनों गद्य कवि हैं।
-हर्ष चरित में राजश्री को दिवाकर मिश्र उपदेश देता है।
-कादम्बरी जाबाली द्वारा वर्णित कथा है।
-पांचाली रीति में शब्द और अर्थ दोनों को महत्व दिया जाता है।
-गौडी रीति आडम्बरपूर्ण रीति कहलाती है। इसमें अलंकारिक शब्दों का उपयोग अधिक होता है।
-नैषधीय चरित में कलि ऋषि ने देवताओं को चार्वक सिद्धांत या नास्तिकवाद का उपदेश दिया था।
-श्रीहर्ष ने अपने काव्य नैषधीय चरित को शृंगारमृतशीतगु: कहा है।
-महाकवि माघ की मृत्यु पादाशोथ रोग के कारण हुई थी।
-शिशुपालवध में श्रीकृष्ण के सारथी का नाम दारूक है। रैवतक पर्वत का वर्णन भी शिशुपाल वध में आता है।
-ऋतुसंहार गं्रथ को अप्रचारतमोमग्ना कहा गया है।
-शाकुन्तल में इन्द्र के सारथी का नाम मातलि है।
-विक्रमोर्वशीयम में विदूषक का नाम माणवक है।
-मालविकाग्निमित्रम में विदूषक का नाम गौतम है।
-रघुवंश में रामायण को कवि प्रथम पद्धति कहा गया है।
-बुधचरित का चीनी अनुवाद फो-शो-हिंग-त्सन-किंग ने किया था।
-बुधचरित संस्कृत व नेपाली भाषा में लिखी गई है। संस्कृत में 1 से  लेकर 14वें सर्ग तक और उसके बाद 15वें सर्ग से 28 वें सर्ग तक नेपाली भाषा में लिखी गई है।
-वर्तमान में महाभारत में 1923 अध्याय और 96244 श्लोक मिलते हैं।
-शिव व विष्णु सहस्त्रनामस्रोत महाभारत के अनुशासन पर्व से लिए गए हैं।
 
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