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Modern poet of sanskrit 2 : संस्कृत के अर्वाचीन कवि 2

Modern poet of sanskrit 2 : संस्कृत के अर्वाचीन कवि 2                Important questions for Sanskrit TGT, PGT, PRT, REET, CTET, UPTET, HTET, RPSC, NET, SLAT, UPSC, UPPSC, NET, SLAT,IAS, IAS, RAS, SSC. Exams 


                                                                 पद्म शास्त्री

 

पद्म शास्त्री उत्तरप्रदेश के सिंगली गांव रहने वाले थे। उनका जन्म 1935 में सिंगली में हुआ था। इनके पिता का नाम बद्रीदत्त ओझा था। इन्हें 15 अगस्त 2013 में राष्ट्रपति पुरस्कार दिया गया। 


इनकी प्रसिद्ध कृति है विश्वकथाशतकम जिसे दो भागों में 1987 और 1988 में जयपुर के देवनगर प्रकाशन से प्रकाशित किया गया। 

प्रमुख रचनाएं

1 लेनिनामृतम:- यह एक महाकाव्य है जिसमें 15 सर्ग हैं। यह वीर रस प्रधान महाकाव्य है और इसमें लेनिन के बारे में बताया गया है।
2 स्वराज्यम :- यह एक खंड काव्य है और इसमें 5 सर्ग हैं। इसमें भी वीर रस प्रधान है और इसमें भारत चीन युद्ध के बाद की स्थितियों पर प्रकाश डाला गया है।
3 इनके भी तीन शतक प्रसिद्ध हैं। जिनमें :-
4 सिनेमा शतकम :- इस खंड काव्य में सिनेमा से सांस्कृतिक प्रदूषण के बारे में बताया गया है।
2 विश्वकथाशतकम :- इसमें विभिन्न देशों की सौ लोक कथाओं का जिक्र किया गया है। इसकी प्रसिद्ध कथा स्वर्णकाक: है जो कि वर्मा या म्यामार की कथा है।
3 चायशतकम
-मदीया सोवियत यात्रा
-पद्यपंचतंत्रम
-महावीरचरितामृत
-बंगलादेशविजय
-लोकतंत्र विजय आदि इनकी अन्य रचनाएं हैं।


डॉ प्रभाकर शास्त्री

डॉ प्रभाकर शास्त्री का जन्म 13 अप्रेल 1939 को जयपुर में हुआ था। इनके पिता का नाम वृद्धि चंद शास्त्री था। वे भी संस्कृत के विद्वान थे।
डॉ शास्त्री राजस्थान संस्कृत अकादमी के मानद निदेशक रहे थे और बीकानेर से प्रकाशित विश्वम्भरा पत्रिका के संपादक भी रहे। जैन मुनि विद्यासागर रचित श्रमणशतकम का संपादन भी इन्होंने किया।
प्रमुख रचनाएं:-

इन्होंने तीन रूपक लिखे

1 जगदगुरुशंकराचार्य
2 महाकविर्माघ
3 विल्हणचरित

इसके अलावा 

4 आत्मवेदना एक कहानी है
5 संस्कृत गद्यप्रभा
6 याज्ञवल्क्यस्मृति (आचाराध्याय)

सूर्यनारायण शास्त्री

पंडित सूर्यनारायण शास्त्री हरियाणा के रहने वाले थे और इनका जन्म महेन्द्रगढ़ में सन 1883 में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा जयपुर में हुई और ये आजीवन संस्कृत रत्नाकर पत्रिका से जुड़े रहे। वर्ष 1951 में इनकी मृत्यु हुई।

प्रमुख रचनाएं

इनकी प्रमुख रचनाओं में मानवंशमहाकाव्यम प्रमुख है जो कि ऐहितासिक महाकाव्य है और इसमें 17 अंक हैं।
दूसरी रचना है दुर्लभदाम्पत्यम जो कि एक कहानी संबंधित रचना है।

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